लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # बेटी तू हीरा है
सुबह सुबह पुरे घर मे चहल पहल होती थी।सभी को जल्दी होती थी अपने अपने काम पर जाने की।पर आज रविवार था सोई अनिल को ही अपनी फैक्ट्री जाना था । दोनों बच्चों की छुट्टी थी ।घर मे पांच जन थे ।मीनल,दो बेटे,मीनल के पति अनिल और उसके ससुर खेमराज।
आज मीनल ने नाश्ता बनाया और सब को आवाज लगायी
"सभी आ जाइए नाश्ता तैयार है।"
दोनों बच्चे ,पति और ससुर दौड़े दौड़े आये और आते ही पूछा,"क्या बना है ?"
तभी मीनल बोली,"वैजिटेबल दलिया।"
ये सुनते ही कन्नू और मन्नू का मुंह चढ़ गया और तुनक कर बोले,"क्या ममा ।हर रोज ये चीजें बना देते है । हेल्दी खाओ हमे नही खाना ।"
ये कहकर दोनों डायनिंग टेबल से उठने लगे तो मीनल ने उन्हें इशारा करके बैठने को कहा।और सभी की प्लेट मे दलिया परोसने लगी।तभी खेमराज जी चिढ़ते हुए उठे और थाली को नमन करके चलने लगे।
मीनल ससुर को ऐसे थाली छोड़कर जाते हुए देखकर बोली,"पिताजी आप क्यों नही खा रहें।"
"बहू हमसे भी नही खाया जाएगा ये रोज रोज उबला हुआ खाना।" ये कहकर खेमराज जी ने स्कूटर की चाबी उठाई और चल दिए।
मीनल अनिल की तरफ देखकर बोली,"अब पिता जी की शूगर बढ़ जाएगी वो बिना खाये चले गये।"
अनिल ने बाहर जाकर देखा तो खेमराज जा चुके थे।
अनिल बोला,"अभी मै फैक्ट्री जा रहा हूं शाम को बात करूंगा पिताजी से।"यह कहकर वो चला गया।मीनल ने कन्नू मन्नू को समझाकर नाश्ता करा दिया।और स्वयं बिना खाये ही घर के कामों मे लग गयी।जब घरके बड़े बुजुर्ग खाना नही खाये तो मीनल के गले से निवाला कैसे उतरता।
उधर खेमराज जी अपने दोस्त किशनलाल के यहां पहुंच गये। किशनलाल ने उन्हें सुबह सुबह यूं गुस्से मे आया देखकर पूछा,"क्या बात है यार तू इतना गुस्से मे क्यों है।"
तभी भुख से व्याकुल खेमराज जी बोले,"क्या करूं वो बहू हर रोज उबला खाना बना देती है ।तुझे पता है मै खाने का कितना शौकीन हूं। अनिल की मां के आगे भी तरह तरह के व्यंजन बनवा कर खाता था ,कभी पकोड़े ,कभी छोले भटूरे।पिछले साल से जब से हार्ट अटैक आया है बहू यही सब बना रही है।कभी ढंग का बनाती ही नही।"
कुछ सैचते हुए किशनलाल बोले," है तै गलत बात ,बता खुद अपने लिए और बच्चों के लिए बढ़िया खाना बना लेती है और मेरे यार को उबला खाना देती है खाने को।"
ये सुनकर खेमराज चौंके,*अरेरेरे....नही यार सभी के लिए बना देती है वही उबला खाना।"
"फिर , फिर तू बहू को दोष क्यों दे रहा है। क्या बहू को और बच्चों को दिल का दौरा पड़ा है जो वो तेरे साथ परहेज करेंगे।वो तो तुझे पड़ा है और सभी उबला खाना खा रहे है।यार सोच तेरी बहू हीरा है हीरा ।जरूर तुने पिछले जन्म में मोती दान किये होंगे जो ऐसी बहू मिली है जो तेरे कारण पूरे परिवार को वही भोजन दे रही है।"
अब खेमराज जी को बात समझ आ गयी थी।वो तुरंत उठे ओर घर की ओर चल दिए। रास्ते मे बहुत सा फल और हरी सब्जियां लेते हुए जब घर पहुंचे तो देखा दलिया यू ही टेबल पर रखा था ।भगोना खोलकर देखा तो बहुत सारा बचा था लगता है बहू ने भी नाश्ता नही किया। उन्होंने दलिया गर्म करके बहू को आवाज दी,"बेटा मीनल आओ नाश्ता करे।"
मीनल धड़कते दिल से कमरे से बाहर आयी कि पिताजी पता नही क्या कहेंगे।
पर आते ही खेमराज जी ने बहू के सिर पर हाथ फेर कर कहा,"बेटी तू हीरा है हीरा।अपनी खुद की जनी बेटी एक बार ये सोच लेगी कि पिताजी के कारण हमे भी ऐसा बेस्वाद और उबला खाना खाना पड़ता है।पर बेटी तेरे माथे पर कभी शिकन नही आयी बल्कि तुम बच्चों को भी समझाकर खिला देती हो।अब से ये नही होगा ।तुम बच्चों के लिए जो पसंद हो वो खाना बनाया करो । ताकि वो भी अपनू बचपन का आनंद ले जैसे हमने लिया था अपने बचपन मे।
मीनल की आंखों मे झरझर आंसू बह रहे थे आज उसकी तपस्या सफल हो गयी थी।
Khushbu
27-Jul-2022 07:22 PM
Nice
Reply
Saba Rahman
26-Jul-2022 11:57 PM
Nice
Reply
Khan
26-Jul-2022 11:06 PM
😊😊😊
Reply